चीन ने भारत से आयात होने वाली दवाइयों पर टैक्स घटाया


भारत और चीन भारतीय दवाओं खासतौर पर कैंसर की दवाओं पर चीन में आयात पर लगने वाले सीमा-शुल्क (टैरिफ) में कटौती पर सहमत हुए हैं.

यह भारत के लिए बड़ी कामयाबी है, क्योंकि वह लंबे समय से चीन से औषधि और आईटी सेक्टर के दरवाजे उसके लिए खोलने की मांग करता रहा है.

व्यापार युद्ध के बाद से चीन अब तक 8500 भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क में कमी कर चुका है. चीन के अमेरिका से व्यापार युद्ध तेज होने के साथ भारत और अन्य देशों के उत्पादों पर आयात शुल्क में और कटौती करेगी.

पृष्ठभूमि:-

चीन में हर साल करीब 43 लाख लोग कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं. भारतीय दवाओं विशेषकर कैंसर की दवाओं की चीन में बड़ी मांग हैं क्योंकि ये बहुत सस्ती हैं.

चीन ने भारत से पांच लाख गांठों का आयात करने का अनुबंध किया है. दरअसल, चीन ने अमेरिका से आयातित कपास पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाया है. सितंबर 2018 तक भारत का कपास निर्यात 21 प्रतिशत तक उछलकर 70 लाख गांठ पर पहुंचने के आसार हैं.

चीन ने जून 2018 में ही भारत से आयातित अन्य उत्पादों जैसे रसायन, कृषि उत्पादों, मेडिकल उपकरणों, कपड़ों, स्टील-एल्युमिनियम पर भी सीमा शुल्क घटाया था.

एशिया-प्रशांत व्‍यापार समझौता:-

एशिया-प्रशांत व्‍यापार समझौता (एपीटीए), संयुक्त राष्ट्र के एशिया-प्रशांत के लिए आर्थिक एवं सामाजिक आयोग के अंतर्गत एक विशिष्‍ट पहल है जिसका उद्देश्‍य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सदस्‍य माने जाने वाले विकासशील देशों के बीच शुल्क (टैरिफ) रियायतों के आदान-प्रदान के ज़रिये व्‍यापार का विस्‍तार करना है.

यह वर्ष 1975 से ही प्रभावी है. एपीटीए एक वरीयता प्राप्‍त व्‍यापार समझौता है, जिसके तहत विभिन्‍न वस्‍तुओं के
बास्‍केट के साथ-साथ शुल्‍क रियायतों की सीमा को भी समय-समय पर होने वाली व्‍यापार वार्ताओं के दौरान बढ़ाया जाता है.
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