बिहार सरकार ने पेड़ कटान पर रोक लगाई

Bihar government

बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य के विभिन्न शहरों में पेड़ों के काटने पर रोक लगा दी है, इसके पीछे का कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण तथा जानलेवा ग्रीष्मलहर है।

मुख्य बिंदुबिहार के प्रमुख शहर विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में आते है, पटना (7वां स्थान), मुजफ्फरपुर (13वां स्थान), गया (18वां स्थान) तथा भागलपुर में प्रदूषण काफी बड़ी समस्या है। वर्तमान में बिहार में पेड़ सुरक्षा अधिनियम नहीं है, इसलिए लोग अपने निजी पेड़ों को काट रहे हैं। पेड़ों की कटाई पर रोक के मौजूदा आदेश को वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत जारी किया गया है।
बिहार सरकार ने सरकारी परियोजनाओं के लिए पेड़ों के कटान पर रोक लगा दी है। यदि किसी विकास कार्य (जैसे सड़क अथवा उच्चमार्ग) के लिए पेड़ काटने की आवश्यकता पड़ती है तो उस पेड़ अथवा प्रोजेक्ट को शिफ्ट पर्ण पड़ेगा। इंजीनियरों को पेड़ न काटने की हिदायत दी गयी है। विकास कार्यों के लिए पेड़ काटने के आदेश अब अमान्य हो गये हैं। हालांकि यह आदेश केवल सरकारी स्वामित्व वाली भूमि पर लागू होता है, लोग अपनी निजी भूमि पर पेड़ को काट सकते हैं, क्योंकि बिहार ने पेड़-सुरक्षा अधिनियम नहीं है।

पिछले 2.5 वर्षों में पटना की बेली रोड के निर्माण के लिए 2200 से अधिक पेड़ों को काटा गया था।मौजूदा सरकार ने हरित कवर को 17% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। बिहार “ग्रीन मिशन” के तहत हरित कवर को 7% से 15% तक बढ़ाने में कामयाब रहा है।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 को भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था, इसका उद्देश्य वनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस अधिनियम के अनुसार वन भूमि का उपयोग गैर-वनीय उद्देश्य के लिए करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक है।
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