अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक शनि के सबसे बड़े चांद टाइटन पर मीथेन की 100 मीटर से ज्यादा गहरी और छोटी झीलें हैं. नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान से जुटाए गए डाटा की मदद से वैज्ञानिकों को यह जानकारी मिली है.|
इस खोज को विज्ञान पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित किया गया है. टाइटन हमारे सौरमंडल में धरती के अलावा दूसरा ऐसा खगोलीय पिंड है जिसकी सतह पर तरल मिलने की पुष्टि हुई है. टाइटन पर भी पृथ्वी की तरह एक हाइड्रोलॉजिक चक्र चलता है|
हालांकि अंतर बस यही है कि धरती पर यह चक्र पानी के साथ चलता है, जिसमें समुद्र से पानी वाष्पित होता है, बादल बनते हैं और फिर बारिश हो जाती है. टाइटन पर यह चक्र मीथेन और ईथेन के साथ पूरा होता है|
धरती पर आमतौर पर मीथेन और ईथेन जैसे हाइड्रोकार्बन को गैस माना जाता है. उच्च दबाव में किसी टैंक में भरने पर ही इन्हें तरल में बदलना संभव हो पाता है.|
वहीं टाइटन पर तापमान इतना कम है कि मीथेन और ईथेन जैसे हाइड्रोकार्बन वहां तरल रूप में ही रहते हैं. पहले के डाटा से यह पता था कि टाइटन के बड़े उत्तरी सागरों में मीथेन भरा है, लेकिन छोटी झीलों में भी ज्यादातर मीथेन का होना चौंकाने वाला है.|
झील में मीथेन और ईथेन लगभग बराबर मात्रा में हैं. मीथेन की तुलना में ईथेन थोड़ा भारी होता है.इससे पहले कैसिनी ने टाइटन के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित बड़ी झील ओंटारियो लेकस का अध्ययन किया था.हर खोज के साथ टाइटन का रहस्य गहरा होता जाता है. हालांकि नए डाटा से हमें कई सवालों के जवाब खोजने में मदद मिलेगी.|
झील में मीथेन और ईथेन लगभग बराबर मात्रा में हैं. मीथेन की तुलना में ईथेन थोड़ा भारी होता है.इससे पहले कैसिनी ने टाइटन के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित बड़ी झील ओंटारियो लेकस का अध्ययन किया था.हर खोज के साथ टाइटन का रहस्य गहरा होता जाता है. हालांकि नए डाटा से हमें कई सवालों के जवाब खोजने में मदद मिलेगी.|
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