"केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 15 अप्रैल 2019 को जीयोसिंक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च "!

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 15 अप्रैल 2019 को जीयोसिंक्रोनस सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) के चौथे चरण को जारी रखने की मंजूरी दी. चौथे चरण के अंतर्गत 2021-24 की अवधि के दौरान 5 जीएसएलवी उड़ानें शामिल है|

जीएसएलवी कार्यक्रम- चरण 4 से जियो-इमेजिंग, नेवीगेशन, डेटा रिले कम्‍यूनिकेशन और स्‍पेस साइंस के लिए दो टन वर्ग के उपग्रहों को लॉन्च करने की क्षमता मिलेगी. इस मिशन के लिए कुल 2729.13 करोड़ रुपये की निधि की आवश्‍यकता होगी |

जिसमें 5 जीएसएलवी व्हीकल, आवश्‍यक सुविधाओं में बढ़ोत्‍तरी, कार्यक्रम प्रबंधन और लॉन्च अभियान की लागत शामिल है. मौजूदा जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम की संभावनाओं के तहत अतिरिक्‍त निधियों की आवश्‍यकता होगी |

जीएसएलवी से जीयोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) के सिलसिले में दो टन वर्ग के उपग्रहों को लांच करने के लिए अंतरिक्ष में स्‍वतंत्र पहुंच प्राप्‍त हो गई है. जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम का एक सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण परिणाम यह है कि अत्‍यंत जटिल क्रायोजेनिक प्रोपल्‍शन प्रौद्योगिकी में महारथ हासिल हुई है,  जो जीटीओ में संचार उपग्रहों को लांच करने की प्रौद्योगिकी क्षमता के लिए बहुत जरूरी है। इससे उच्‍च ऊर्जा वाले क्रायोजेनिक इंजन के विकास तथा लांच व्‍हेकिल की अगली पीढ़ी यानी जीएसएलवी एमके-3 के चरण का मार्ग प्रशस्‍त हुआ है |
19 दिसंबर, 2018 को जीएसएलवी-एफ 11 के हाल में सफल लांच के साथ जीएसएलवी ने कामयाबी से 10 राष्‍ट्रीय उपग्रहों को कक्षा में भेजा है. स्‍वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्‍टेज के साथ जीएसएलवी ने संचार, नौवहन और मौसम संबंधी उपग्रहों के संबंध में खुद को एक भरोसेमंद लॉन्च व्हीकल के रूप में तथा भावी अंतर-ग्रह अभियान शुरू करने के लिए स्‍थापित कर लिया है |
जीएसएलवी निरंतरता कार्यक्रम को 2003 में मंजूरी दी गई थी और दो चरण पूरे किए जा चुके हैं. तीसरा चरण प्रगति पर है और उम्‍मीद की जाती है कि 2020-21 की चौथी तिमाही में उसे पूरा कर लिया जाएगा.|

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