पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वुहान और चिंगदाओ में हुई मुलाकातों के दौरान आर्थिक सहयोग मजबूत करने के उपायों पर सहमति बनी थी जिनमें बैंकिंग क्षेत्रों में प्रगति भी शामिल है.
भारत और चीन के मध्य बैंकिंग सहयोग
• बैंक ऑफ चाइना ने जुलाई 2016 में मंजूरी के लिए आवेदन किया था लेकिन डोकलाम विवाद के चलते मामला रुक गया था.
• चीन का इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आइसीबीसी) 2011 से भारत में परोक्ष रूप से मौजूद और कार्यरत है.
• आइसीबीसी की एक शाखा मुम्बई में है. वहीं भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई की दो शाखाएं चीन में कारोबार कर रही हैं.
• एसबीआई की शंघाई के अलावा तिआनजिन में एक शाखा है. इसके अलावा भारत के बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, आईसीआईसीआई व एक्सिस बैंक की भी एक एक शाखा चीन में है.
टिप्पणी
चीन द्वारा वर्ष 2006 में ही भारत के 7 बैंकों को अपनी शाखाएं चीन में खोलने की इजाजत दी गई जबकि भारत की ओर से चीन को अब तक अनुमति नहीं दी गई थी. बैंक ऑफ़ चाइना द्वारा भारत में कदम रखने पर भारत और चीन के मध्य बैंकिंग सहयोग तेज़ होगा. इससे भारत में विदेशी बैंकों की संख्या 45 हो जाएगी. इंग्लैंड का स्टैण्डर्ड चार्टेड पहला विदेशी बैंक है जिसने भारत में 100 से अधिक शाखाएं खोली हैं.
बैंक ऑफ चाइना के अलावा ईरान के तीन, साउथ कोरिया के दो, मलेशिया और नीदरलैंड के एक-एक बैंक ने भारत में बिजनेस शुरू करने के लिए आरबीआई से मंजूरी मांगी थी. इनमें से साउथ कोरिया और मलेशिया के बैंकों के आवेदन खारिज कर फिर से आवेदन के लिए कहा गया जबकि बाकी पर विचार चल रहा है.
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