- 8 सितंबर, 2018 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ईंधन के रूप में प्रयुक्त फर्नेस ऑयल और पेट कोक को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी किया गया।
- तीन माह की अवधि (31 दिसंबर, 2018) के बाद इसका प्रयोग संपूर्ण प्रदेश में प्रतिबंधित होगा।
- राज्य में सीमेंट एवं लाइम किल्न उद्योगों में ईंधन के रूप में पेट कोक का प्रयोग होता है।
- फर्नेस ऑयल का प्रयोग थर्मल पॉवर प्लांट में किया जाता है।
- आदेशानुसार इन दोनों का प्रयोग 31 दिसंबर, 2018 तक ही अनुमन्य होगा।
- इस अवधि के उपरांत इसका प्रयोग किए जाने पर प्रयोगकर्ता के विरुद्ध विधिक कार्यवाही की जाएगी।
- ईंधन के रूप में फर्नेस ऑयल और पेट कोक के प्रयोग से पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचती हैं और आम लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या का समाना करना पड़ता है।
- ज्ञातव्य है कि एन.सी.आर. के अधीन आने वाले भागों में इसका प्रयोग पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है।
- पेट कोक पेट्रोलियम उद्योग का एक सह-उत्पाद है, जिससे भारी धातुओं के उत्सर्जन और सल्फर की अत्यधिक मात्रा के कारण अत्यधिक प्रदूषण होता है।
- फर्नेस ऑयल रिफाइनरी का कचरा होता है, जिसमें सल्फर की मात्रा अधिक होती है।
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न-पेट कोक क्या है?
(a) लकड़ी से बना कोयला
(b) लोहा उद्योग का एक सह-उत्पाद
(c) पेट्रोलियम उद्योग का एक सह-उत्पाद
(d) उपरोक्त में कोई नहीं
उत्तर-(c)
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