नोटबंदी के दौरान बंद हुए 99.3 प्रतिशत नोट वापस आए: RBI


विवरण:

भारतीय रिजर्व बैंक की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के दौरान बंद किए गए 500 और
1000 के 99.3 प्रतिशत नोट बैंक के पास वापस आ गए हैं. यह रिपोर्ट 29 अगस्त 2018 को जारी की गई थी.

दरअसल, कालेधन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को
देशभर में नोटबंदी लागू करते हुए 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इसके बाद
सरकार ने लोगों को पुराने नोटों को बैंकों में जमा कराने के लिए 50 दिन का समय दिया था.

केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक:

केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, रिजर्व बैंक के सभी केंद्रों से जमा कुल 15,310.73 अरब नोट
सर्कुलेशन से वापस आए. सालाना आंकड़े में बताया गया है कि मार्च 2018 तक बैंक नोट के सर्कुलेशन में 37.7
प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है. इसी तरह, बैंक नोट का वॉल्यूम 2.1 प्रतिशत बढ़ा है. इसी तरह मार्च 2017
तक 500 रुपये के नए नोट और 2000 रुपये के नोट की सर्कुलेशन हिस्सेदारी 72.7 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो
मार्च 2018 तक बढ़कर 80.2 प्रतिशत हो गई.

नोटबंदी के समय:

नोटबंदी के समय 08 नवंबर 2016 को मूल्य के हिसाब से 500 और 1000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये
के नोट चलन में थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों में वापस आ
चुके हैं. इसका मतलब है कि बंद नोटों में सिर्फ 10,720 करोड़ रुपये मूल्य के नोट ही बैंकों के पास वापस नहीं
आए हैं.

नोटों की छपाई पर खर्च:

नोटबंदी के बाद 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 500 और 2,000 रुपये के नए नोट और अन्य मूल्य के नोटों की
छपाई पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए, जो इससे पिछले साल खर्च की गई 3,421 करोड़ रुपये की राशि के
दोगुने से भी अधिक है. जुलाई 2017 से जून 2018 के दौरान केंद्रीय बैंक ने नोटों की छपाई पर 4,912 करोड़
रुपये और खर्च किए.

नकली नोट:

केंद्रीय बैंक ने कहा कि पिछले साल की तुलना में 100 रुपये के नकली (जाली) नोट 35 प्रतिशत अधिक पकड़े
गए जबकि 50 रुपये के नकली नोटों की संख्या में 154.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ. रिजर्व बैंक ने कहा कि
2017-18 में नए 500 रुपये के नोट की 9,892 जाली यूनिट पकड़ी गईं, जबकि 2,000 रुपये के नोट की 17,929
जाली यूनिट पकड़ी गईं.
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