- 6 अगस्त, 2018 को बलात्कार के मामलों में फांसी की सजा संबंधी आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 राज्य सभा में पारित हो गया है।
- लोक सभा में यह 30 जुलाई, 2018 को पारित हुआ था।
- इस विधेयक में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।
- यह विधेयक भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 166-A, 228-A, तथा 376 में संशोधन करता है तथा तीन नई 376-AB, 376-DA और 376-DB जोड़ता है।
- इस विधेयक के अंतर्गत 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामलों में मौत की सजा तथा एक वयस्क महिला के साथ बलात्कार के मामले में न्यूनतम सजा को 7 से 10 साल तक बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
- भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 के अंतर्गत बलात्कार के अपराध के लिए न्यूनतम 7 वर्ष सश्रम कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का दंड दिया जाता था साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान था।
- वर्तमान अध्यादेश न्यूनतम कारावास की अवधि बढ़ाकर 7 वर्ष से 10 वर्ष करता है।
- अध्यादेश नाबालिगों के बलात्कार से संबंधित तीन नए अपराधों को प्रस्तुत करता है और प्रत्येक के लिए दंड को बढ़ाता है।
- 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार के लिए 20 वर्ष का सश्रम कारावास जिसे आजीवन
- कारावास अथवा मृत्युदंड तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही पीड़िता के मेडिकल और पुनर्वास के खर्चे को पूरा करने के लिए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- 16 वर्ष से कम आयु की महिला के साथ बलात्कार के लिए पूर्व में दस वर्ष का कारावास जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता था, साथ ही जुर्माने के प्रावधान को बढ़ाकर 20 वर्ष में बदल दिया गया है।
- यौन अपराधों से बाल सुरक्षा अधिनियम (पास्को), 2012 में संशोधन किया गया है।
- पास्को, 2012 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र के साथ बलात्कार के लिए कम-से-कम 7 वर्ष या आजीवन कारावास तथा जुर्माना भी शामिल था।
- यह अध्यादेश पास्को अधिनियम में संशोधन करता है और कहता है कि ऐसे सभी अपराधों के लिए वह दंड लागू होगा जो कि पास्को अधिनियम, 2012 और IPC, 1860 के अंतर्गत दिए जाने वाले दंड में से अधिक होगा।
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न-आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 निम्न में से किस अपराधों के निवारण के लिए लाया गया है।
(a) व्यभिचार
(b) बाल यौन अपराध
(c) लैंगिक उत्पीडन
(d) घरेलू हिंसा
उत्तर-(b)
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