अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता समिति को दिया तीन महीने का समय


सुप्रीम कोर्ट में 10 मई 2019 को पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अयोध्या मामले की सुनवाई की. मध्यस्थता समिति ने अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में जजों को सौंपी.

मध्यस्थता समिति ने सकारात्मक समाधान हेतु कोर्ट से 15 अगस्त तक का समय मांगा. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता समिति को तीन महीने (15 अगस्त तक) का और समय दिया है.

अब मामले की अगली सुनवाई 15 अगस्त के बाद होगी. सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ का नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने किया. इन जजों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, एसए नजीर, अशोक भूषण और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे.

कोर्ट ने 8 मार्च 2019 को कहा था कि मध्यस्थता प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर शुरू होगी और समिति चार सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.

मध्यस्थता कमेटी को इससे पहले 8 हफ्ते का समय दिया गया था लेकिन 10 मई 2019 को सुनवाई के दौरान कमेटी ने अतीरिक्त समय की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट के 8 मार्च के आदेश के बाद शुक्रवार को पहली सुनवाई हुई.
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