- 7 अगस्त, 2018 को लोक सभा द्वारा स्थावर संपत्ति अधिग्रहण और अर्जन (संशोधन) विधेयक, 2017 को राज्य सभा द्वारा किए गए संशोधन समेत ध्वनि मत से मंजूरी प्रदान की गई।।
- 18 जुलाई, 2018 को राज्य सभा द्वारा कुछ संशोधनों समेत यह विधेयक पारित कर लोक सभा को वापस कर दिया गया था।
- 18 जुलाई, 2017 को यह विधेयक लोक सभा में पेश किया गया था, जिसे 20 दिसंबर, 2017 को लोक सभा द्वारा पारित किया गया था।
- विधेयक द्वारा ‘स्थावर संपत्ति अधिग्रहण और अर्जन अधिनियम, 1952 में संशोधन किया जाएगा।
- यह अधिनियम सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किसी स्थावर संपत्ति का अधिग्रहण करने हेतु, सशक्त बनाने और कुछ दशाओं में ऐसी संपत्ति का अर्जन करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
- 1-4 मार्च, 1952 को उक्त अधिनियम प्रभावी हुआ था।
- विधेयक के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार को संपत्ति के मालिक को सुनवाई का अवसर दिए जाने के लिए पुनः अर्जन सूचना जारी करने हेतु सशक्त बनाया गया है।
- संपत्ति का मालिक पहली सूचना के प्रकाशन की तारीख से मुआवजे के अंतिम रूप से दिए जाने तक देय मुआवजे के संबंध में सुसंगत वार्षिक ब्याज दर का भी हकदार होगा।
- विधेयक के अनुसार, बढ़ा हुआ मुआवजा अर्जन की सूचना पुनः जारी किए जाने और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा के उद्देश्य के लिए अधिग्रहित जमीन के संबंध में ही लागू होगा।
- यह विधेयक अधिनियम बन जाने के पश्चात 14 मार्च, 1952 से प्रभावी माना जाएगा।
प्रश्नोत्तर:
प्रश्न-स्थावर संपत्ति अधिग्रहण और अर्जन (संशोधन) विधेयक, 2017 से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
(i) सरकार संपत्ति के मालिक को पुनः सूचना जारी कर सकती है, ताकि उसे सुनवाई का पर्याप्त अवसर मिल
सके।
(ii) उन मामलों में, जिनमें पुनः सूचना जारी की गई हो, संपत्ति का मालिक मिलने वाले मुआवजे पर ब्याज का
हकदार होगा। विधेयक से संबंधित उपर्युक्त प्रावधानों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल (i)
(b) केवल (ii)
(c) (i) एवं (ii) दोनों
(d) न तो (i) और न ही (ii)
उत्तर-(c)
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