12 साल की मेहनत के बाद बना सुपर कम्प्यूटर
सुपर कंप्यूटर की इस मशीन को 'स्पिननेकर' नाम दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के मुखिया स्टीव फरबेर का कहना है कि यह मशीन दुनिया की अब तक की सबसे तेज और नियत समय में सबसे अधिक बायोलॉजिकल न्यूरॉन्स की नकल कर सकती है।
उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर में बहुत सी ऐसी चीजें करने में मुश्किल होती है, जो इंसान स्वाभाविक रूप से कर लेते हैं। नवजात शिशु भी अपनी मां को पहचान लेते हैं लेकिन किसी खास व्यक्ति को पहचानने वाला कम्प्यूटर बनाने का काम हमने संभव कर दिखाया।
उन्होंने कहा कि अब हम दिमागी क्रिया को आसानी से पहचान सकते हैं। मैं अब यह कह सकता हूं कि हम 12 सालों की मेहनत और कोशिशों में कामयाब रहे हैं और हमारा उद्देश्य पूरी तरह सफल रहा।
इस परियोजना से जुड़े प्रोफेसर हेनरी मार्कराम कहते हैं कि इंसान का दिमाग इतना खास क्यों होता है? ज्ञान और व्यवहार के पीछे का मूल ढांचा क्या है? दिमागी बीमारियों का इलाज कैसे किया जाए सुपर कम्प्यूटर के जरिए हम अब इन सभी उपायों का आसानी से विश्लेषण कर सकते हैं।
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