उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के सम्मान में भारत द्वारा उत्तरी फ्रांस में निर्मित पहले युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया. उपराष्ट्रपति तीन दिवसीय यात्रा पर फ्रांस में थे.
विल्लर्स गुइसलेन कस्बे में युद्ध स्मारक के उद्घाटन के दौरान नायडू ने फ्रांसीसी सशस्त्र बलों के पूर्व सैनिकों और बच्चों से बातचीत भी की. उपराष्ट्रपति ने कहा, 'यह उन हजारों भारतीय सैनिकों को महान श्रद्धांजलि है जिनके साहस और समर्पण को पूरी दुनिया ने सराहा है.'
आजादी के बाद यह अपनी तरह का पहला ऐसा स्मारक है जिसे भारत ने फ्रांस में बनाया है. इस स्मारक के निर्माण की घोषणा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जून, 2018 में अपनी पिछली पेरिस यात्रा के दौरान की थी.
प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों की भूमिका
प्रथम विश्व युद्ध में 74,911 भारतीय सैनिक मारे गए तथा 67 हजार सैनिक घायल हुए. भारत की ओर से युद्ध में शामिल हुए सैनिकों में करीब आधे संयुक्त पंजाब प्रांत से थे. उस समय पंजाब में साक्षरता दर महज पांच प्रतिशत थी. उनमें से कुछ ही सैनिक दस्तखत करना जानते थे. फ्रांस में भारतीय और ब्रिटिश दोनों ही टुकड़ियों का नेतृत्व सर डगलस ने किया था.
वर्ष 1915 की शुरुआत में भारतीय सैनिकों को पहले आराम दिया गया, लेकिन जल्द ही उनकी युद्ध में वापसी कराई गई. युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने 9200 भारतीय सैनिकों को वीरता पदकों से सम्मानित किया. सरकार ने पहले विश्व युद्ध में शहीद हुए 74 हजार भारतीय सैनिकों की याद में दिल्ली में 1921 में इंडिया गेट की आधारशिला रखी. यह 1931 में बनकर तैयार हुआ. इसमें 13,300 हजार से ज्यादा सैनिकों के नाम हैं.
प्रथम विश्व युद्ध 4 साल, 3 महीने, 2 हफ्ते तक चला था तथा इसमें 30 देश शामिल थे. इस युद्ध में लगभग 6 करोड़ 82 लाख सैनिक लड़े थे. इसमें 99 लाख 11 हजार सैनिक मारे गए. इनमें 75 हजार भारतीय थे. यह दूसरे विश्व युद्ध तक सबसे बड़ी मानवरचित त्रासदी थी. दूसरे विश्व युद्ध में सैनिकों समेत कुल 7.3 करोड़ लोग मारे गए थे. लेकिन, सबसे ज्यादा आविष्कार पहले विश्व युद्ध के दौरान हुए थे.

EmoticonEmoticon