सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर 2018 को अयोध्या विवाद पर सुनवाई जनवरी 2019 तक टाल दी हैं. सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच 2010 में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार कर रही थी.
पहले इस मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच कर रही थी. 27 सितंबर 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने विवादित भूमि के मामले की सुनवाई नई बेंच में करने का आदेश दिया था.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में जो फैसला दिया था उसके खिलाफ हिंदू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इससे पहले मामले की सुनवाई चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर कर रहे थे.
क्या था मामला?
इस्माइल फारूकी ने अयोध्या में भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी थी जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि नमाज पढ़ना मस्जिद का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.
मुस्लिम समुदाय इससे सहमत नहीं था और वह चाहता था कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर दोबारा से विचार करे.
सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दलील दी गई थी कि मस्जिद में नमाज़ मामले पर जल्द निर्णय लिया जाए.
मुस्लिम समुदाय यह भी चाहता था कि मुख्य मामले से पहले 1994 के इस फैसले पर सुनवाई हो. अयोध्या जमीन विवाद पर फैसला तथ्यों के आधार पर होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को इस मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखा था. इसके साथ ही राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया गया था, ताकि हिंदू धर्म के लोग वहां पूजा कर सकें.
अयोध्या विवाद कब क्या हुआ?
EmoticonEmoticon