ये वर्तमान में आउटलुक में एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में कार्यत हैं, और जो द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस जैसे बड़े मीडिया में काम कर चुकी है।
यह पुस्तक 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों के मिशन के दौरान लापता भारतीय सैनिकों से संबोधित होती है और जिसमे यह भी पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि उनके साथ क्या हुआ, जिसके बाद इस बात पर बहस शुरू होने के आसार है कि सैनिकों को अक्सर सरकारों द्वारा मोहरे के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाता है।
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