वर्तमान समय में चेक बाउंस होने पर सजा की व्यवस्था है, लेकिन इस तरह के मामलों में अपील करने का प्रावधान होने के कारण लम्बित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इससे चेक की विश्वसनीयता कम हो रही है और असुविधाएं बढ़ रही है. नये प्रावधानों के तहत शिकायत करने वाले को त्वरित न्याय मिलेगा.
विधेयक के प्रमुख तथ्य
• मामले की शिकायत करने वाले के लिए 20 प्रतिशत अंतरिम राशि मुआवजे के रूप में देने का प्रावधान किया गया है.
• यदि मामला अपीलय अदालत में जाता है तो 20 प्रतिशत और राशि न्यायालय में जमा करनी होगी.
• इसके साथ ही चेक जारी करने वाले को 20 प्रतिशत दंड पर ब्याज भी देना पड़ेगा.
• मामले में न्यायालय चाहे तो दंड की राशि 100 प्रतिशत भी कर सकता है.
कहां हुआ संशोधन?
धारा 138 के तहत अदालत में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को 60 दिन के भीतर 20 प्रतिशत अंतरिम राशि देने की व्यवस्था है.
विधेयक के लिए अधिनियम में धारा 143 (क) का समावेशन किया गया है जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है.
बड़ी राशि होने और दो किस्तों में भुगतान करने की दशा में यह अवधि 30 दिन बढ़ाई जा सकती है.
इसी प्रकार में धारा 148 में संशोधन करके अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है.
विधेयक से होने वाले लाभ
• इस विधेयक से चेक के अस्वीकृत होने की समस्या का समाधान हो सकेगा.
• विधेयक में ऐसे प्रावधान किये गये हैं जिससे चेक बाउंस होने के कारण जितने तरह के विवाद उपजते हैं, उन सबका समाधान इसी कानून में हो जाये.
• इससे चेक की विश्वसनीयता बढ़ेगी और सामान्य कारोबारी सुगमता में भी इजाफा होगा.
• जारीकर्ता के विरुद्ध न्यायालय जाने पर न्याय की प्रक्रिया भी लंबी हो जाती थी, अब चेक से होने वाले धोखाधड़ी भी कम होगी.
प्रश्न – चेक बाउंस होने के मामले में न्यायालय चाहे तो दंड के रूप में कितने प्रतिशत तक राशी वसूल सकती है ?
(a) 30 प्रतिशत
(b) 50 प्रतिशत
(c) 60 प्रतिशत
(d) 75 प्रतिशत
(e) 100 प्रतिशत
उत्तर-(e)
EmoticonEmoticon